आज हम जानेंगे लशुनादि वटी के फायदे। लशुनादि वटी का कैसे करे उपयोग और किस रोग मे लशुनादि वटी का उपयोग होता है।
लशुनादि वटी मे उपयोग होने वाले औषध द्रव्य | Ingredients used in Lagunadi vati in Hindi
द्रव्य |
मात्रा |
छिलका निकाला हुआ लशुन |
२ तोला |
जीरा सफेद |
१ तोला |
शुद्ध गन्धक |
१ तोला |
सेंधा नमक |
१ तोला |
सोंठ |
१ तोला |
काली मिर्च |
१ तोला |
पीपल |
१ तोला |
घी में भुनी हुई हींग |
१ तोला |
लशुनादि वटी बनाने के विधि | How to Lasunadi Vati in Hindi
लशुनादि वटी बनाने के विधि |
ऊपर दिए गए सभी द्रव्यों को मात्रा अनुसार यथा युक्त विधि से कूट ले फिर उसे कपड़छन चूर्ण कर ले उसके बाद उसमे नीबू के रस में तीन दिन तक घोंटकर तीन-तीन रत्ती की गोलियां बना ले और उसे सुखाकर रख लें। -वैद्य जीवन |
लशुनादि वटी नोट | Lasunadi Vati in Hindi
नोट- |
छिले हुए लहसुन को ३ दिन तक छाछ में भिगोकर पश्चात् निकालकर जल से धोकर डालें। |
लशुनादि वटी मात्रा और अनुपान | Lasunadi Vati Dose in Hindi
मात्रा और अनुपान |
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मात्रा |
१ से ४ गोली |
अनुपान |
भोजन करने के बाद गर्म जल से दें |
चिकित्सक परामर्श |
या चिकित्सक अनुसार लेना चाहिए |
लशुनादि वटी गुण और उपयोग | Lasunadi Vati Use and benefit in Hindi
गुण और उपयोग- |
यह पेट में वायु भर जाने की उत्तम दवा है। इसके सेवन से मन्दाग्नि, उदर-वायु, पेट-दर्द, आदि शीघ्र अच्छे हो जाते हैं। यह दीपक-पाचक तथा वायुनाशक है। |
अजीर्ण और विसूचिका (हैजा) आदि रोगों में बहुत फायदा करती है। अजीर्ण के कारण पेट में वायु भर जाता है जिससे डकारें आने लगती है । इस वायु को पचाने तथा डकारों को बन्द करने के लिए यह वटी बहुत उपयोगी है। |
पेट में वायु कुपित होकर उर्ध्व गति हो जाती है, सामान्य लोग इसे गोला बनना कहते हैं। दिमागी काम करने वालों को यह शिकायत बहुत होती है। इसमें जी मिचलाना, शिर भारी रहना, दिल धड़कना, भ्रम, चक्कर आना, खट्टी डकारें आना, पेट फूलना या अफरा आदि लक्षण होते हैं। इस वटी के प्रयोग से उर्ध्ववात का शमन शीघ्र ही हो जाता है। |