Ayurveda Treatment Case Study: Cerebral Palsy in Children’s

बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर बेटे के इलाज में भटके पिता पिंटू शर्मा और माँ गीता देवी को अंततः बनारस में वह राह मिल गई जिसने उनके जीवन में प्रकाश फैला दिया। अपने बेटे को वार्ड में पंजे पर दौड़ते हुए देख उनकी आंखों में पानी भर आता है, जिसके बारे […]

बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर बेटे के इलाज में भटके पिता पिंटू शर्मा और माँ गीता देवी को अंततः बनारस में वह राह मिल गई जिसने उनके जीवन में प्रकाश फैला दिया। अपने बेटे को वार्ड में पंजे पर दौड़ते हुए देख उनकी आंखों में पानी भर आता है, जिसके बारे में डॉक्टरों ने कहा था कि इसे गोद में लीजिए या सुला दीजिए। जिला कैमूर (बिहार) के वेल्डर पिंटू शर्मा के घर पाँच वर्ष पहले बच्चे ने जन्म लिया। उसका नाम अभय रखा गया। अभय की मां गीता देवी ने सोमवार को बताया कि दो साल के बाद अभय जब खड़ा होता था तब वह गिर जाता था। बहुत प्रयास के बाद भी खड़ा नहीं हो पाता था। यह देख कैमूर से लेकर उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर उसका आयुर्वेद को छोड़कर अन्य चिकित्सा पद्धति से इलाज करवाया। कहीं से कोई फायदा नहीं मिला, हजारों रुपये खर्च हुए उसका कोई हिसाब नहीं। एक परिचित ने राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय चौकाघाट के बारे में जानकारी दी।

इस पर वह सितंबर 2017 में पति और बेटे के साथ वहां पहुंचीं। यहां पर वैद्य अश्वनी कुमार गुप्ता ने उसे देखा और बताया कि उनका बेटा सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी से ग्रस्त है। आयुर्वेद में इसका इलाज उपलब्ध है। वैद्य ने बताया कि यह जन्मजात बीमारी होती है। 3000 बच्चों में से किसी एक बच्चे को यह बीमारी होती है। कारण अभी अज्ञात है। आयुर्वेद पद्धति से अभी उसका इलाज हो रहा है। केवल सात महीने में पंजे के बल पर दौड़ने लगा। छह माह से एक वर्ष के अंदर सामान्य हो जाएगा।

रोगी का नाम- अभय ( पांच वर्ष ) चीमारी सेरेब्रल पाल्सी

कारण अज्ञात- 3000 में से एक बच्चे को यह बीमारी जन्म से होती है। आयुर्वेद में इलाज पर खर्च एक हजार रुपये प्रति माह।

इलाज का तरीका – Ayurvedic Treatment Given for Cerebral Palsy

  • दिन में सुबह बला और जीवाती की जड़ी बूटी का काढ़ा बनाकर दूध के साथ साठी चावल मिलाकर पिंड स्वेद करते हैं।
  • ज्योतिषमति और बादाम का तेल 15-15 बूंद दूध में डालकर सुबह शाम पिलाया जाता है।
  • विदारी कंद का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ।

 

आयुर्वेद में लगभग हर बीमारी का इलाज और उसके उपचार की विधि सैकड़ो वर्ष पूर्व ऋषि-मुनियों ने लिखा था। अब जरूरत शोध की है। वैद्य अश्वनी कुमार गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ, राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय, वाराणसी।

 अन्य जानकारी के लिए जुड़े @आयुर्वेदा_सिद्धि टेलीग्राम चैनल से। 

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