50 महाकषाय तथा 500 कषाय वर्णन

Notes Details: Course: 1st BAMS | Subject: Dravya Guna Vigyan| Language: Hindi, English.

 50 महाकषाय तथा 500 कषाय वर्णन –


पचास महाकषाय – 50 महाकषायो को 10 वर्गों में विभाजित किया गया है।

पहले जो पचास महाकषाय कहे हैं अब उनकी व्याख्या करेंगे । वह इस प्रकार है –

१ . जीवनीयादि वर्ग ( ६ ) – 

१.जीवनीय , 

२. बृहणीय , 

३. लेखनीय , 

४. भेदनीय , 

५. सन्धानीय और

६. दीपनीय ; 

यह छ प्रकार के कषायों का ( प्रथम ) वर्ग है ।


२. बल्यादि वर्ग ( ४ ) –

१ . बल्य , 

२. वर्ण्य , 

३. कण्ठय

४. हद्य ; 

यह चार प्रकार के कषायों का ( दूसरा ) वर्ग है ।


३. तृप्तिनादि वर्ग ( ६ ) –

१.तृप्तिन , 

२. अर्शोघ्न , 

३. कुष्ठन , 

४. कण्डूप्न , 

५. क्रिमिघ्न और 

६. विषघ्न ; 

यह छः प्रकार के कषायों का ( तीसरा ) वर्ग है ।


४. स्तन्यजननादि वर्ग ( ४ ) –

१ . स्तन्यजनन , 

२. स्तन्यशोधन , 

३. शुक्रजनन 

४ , शुक्रशोधन ; 

यह चार प्रकार के कषायों का ( चौथा ) वर्ग है ।


५ . स्नेहोपगादि वर्ग ( ७ )- 

१. स्नेहोपग , 

२. स्वेदोपग , 

३. वमनोपग , 

४. विरेचनोपग , 

५ , आस्थापनोपग , 

६. अनुवासनोपग 

७. शिरोविरेचनोपग ; 

यह सात प्रकार के कषायों का ( पाँचवा ) वर्ग है ।


६. छर्दिनिग्रहणादि वर्ग ( ३ )- 

१. छर्दिनिग्रहण , 

२. तृष्णानिग्रहण

३. हिक्कानिग्रहण ; 

यह तीन प्रकार के कषायों का ( छठा ) वर्ग है ।


७. पुरीषसंग्रहणीयादि वर्ग ( ५ ) –

१ . पुरीषसंग्रहणीय , 

२. पुरोषविरजनीय , 

३. मूत्रसंग्रहणीय , 

४. मूत्रविरजनीय 

५. मूत्रविरेचनीय ; 

इन पाँच प्रकार के कषायों का ( सातवा ) वर्ग है ।


८. कासहरादि वर्ग ( ५ )- 

१. कासहर , 

२.श्वासहर , 

३. शोथहर , 

४ . ज्वरहर 

५. श्रमहर ; 

यह पाँच प्रकार के कषायों का ( आठवा ) वर्ग है ।


९ . वाहप्रशमनादि वर्ग ( ५ ) –

१ , दाहप्रशमन , 

२. शीतप्रशमन , 

३ , उदर्दप्रशमन , 

४. अंगमर्दप्रशमन  

५. शूलप्रशमन ; 

यह पाँच प्रकार के कषायों का ( नवौं ) वर्ग है।


१०. शोणितस्थापनादि वर्ग ( ५ ) –

१ , शोणितस्थापन , 

२. वेदनास्थापन , 

३. संज्ञास्थापन , 

४. प्रजास्थापन 

५. वयःस्थापन ; 

यह पाँच प्रकार के कषायों का ( दशवों ) वर्ग है ।



•आचार्य चरक ने जीवनीय से लेकर वयस्थापन तक 50 महाकषाय का वर्णन किया है

•आचार्य चरक ने दीपनीय महाकषाय का वर्णन किया है किंतु पाचनीय महाकषाय का वर्णन नहीं किया है।

•महाकषायों में मधुक अर्थात मुलेठी शब्द सर्वाधिक 11 बार पिप्पली 9 बार आया है।

• 50 महाकषायो में वर्णित कुल औषध द्रव्यों की संख्या 276 है

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Unknown
Unknown
3 years ago

हाम डाउन लोड करे

1
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
Scroll to Top