चरक संहिता, आयुर्वेद के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जो स्वास्थ्य, रोग, और चिकित्सा के सिद्धांतों पर गहन ज्ञान प्रदान करती है। इसके सूत्रस्थान में दिए गए सात चतुष्कों को याद रखना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन एक आसान ट्रिक की मदद से इन्हें समझना और याद रखना बहुत सरल हो जाता है।
ट्रिक: “भासनि कल रोया अन्न खाके”
इस ट्रिक के प्रत्येक शब्द का पहला अक्षर एक चतुष्क का प्रतिनिधित्व करता है:
- भा: भेषज (औषधियां)
- स: स्वस्थ (स्वास्थ्य)
- नि: निर्देश (उपदेश)
- कल: कल्पना (विभिन्न संभावनाएं)
- रो: रोग (बीमारियाँ)
- या: योजना (उपचार योजना)
- अन्न: अन्नपान (आहार और पेय)
चरक संहिता सूत्रस्थान और सात चतुष्क का महत्व
ये सात चतुष्क चिकित्सा के मूलभूत सिद्धांतों को समझने के लिए एक ढांचा प्रदान करते हैं। ये हमें बताते हैं कि स्वास्थ्य को बनाए रखने, रोगों की पहचान करने और उनके उपचार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना कितना महत्वपूर्ण है।
- भेषज: सही औषधियों का चयन और उनका उचित उपयोग।
- स्वस्थ: स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के महत्व पर जोर।
- निर्देश: रोगी को सही मार्गदर्शन देना।
- कल्पना: रोग के कारणों और उसके विभिन्न पहलुओं को समझना।
- रोग: रोग की पहचान और उसके लक्षणों का अध्ययन।
- योजना: रोग के अनुसार उपचार की योजना बनाना।
- अन्नपान: आहार और पोषण का महत्व।
यह सरल ट्रिक चरक संहिता सूत्रस्थान के सात चतुष्कों को याद रखने में आपकी मदद कर सकती है। एक बार जब आप इन सिद्धांतों को समझ लेते हैं, तो आप आयुर्वेद के गहन ज्ञान की ओर एक कदम और बढ़ा लेते हैं।
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