चरक संहिता सूत्रस्थान अध्याय 1 दीर्घजीवितीयमध्याय (Charak Samhita Sutrasthan Chapter 1)

चरक संहिता सूत्रस्थान अध्याय 1 दीर्घजीवितीयमध्याय के Question papers for BAMS PG Entrance exam (AIAPGET, BHU, NIA Jaipur, AIIA Delhi and other Ayurveda Pg exam) and UPSC Ayurveda Medical officer and Research officer. Ayurveda Bams students can solve this question paper for there pg and ug exam preparation.

Charak Samhita Sutrasthan Chapter 1 MCQ Question answers


Charak Samhita Sutrasthan Chapter 1 – दीर्घजीवितीयमध्याय

Total Questions 98
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(1) चरक
संहिता के
दीर्घ×जीवितीयमध्यायमें
आयुर्वेदावतरण संबंधी सम्भाषा परिषद में कितने ऋर्षियों ने भाग लिया था।

(क) 56 (ख) 57 (ग) 53 (घ) 60

 

(2) “धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलमुत्तमम्।”- उपर्युक्त सूत्र
किस संहिता में वर्णित हैं।

(क) चरक संहिता (ख) सुश्रुत संहिता (ग) अष्टांग
हृदय (घ) अष्टांग संग्रह

 

(3) चरक
संहितामें
बलहन्तारकिसका पर्याय कहा गया है।

(क) इन्द्र (ख) भरद्वाज (ग) राजयक्ष्मा (घ)
प्रमेह

 

(4) चरक
संहिता के अनुसार इन्द्र के पास आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त करने कौन गया था।

(क) आत्रेय (ख) भरद्वाज (ग) अश्विनी द्वय (घ)
अग्निवेश

 

(5) आचार्य
चरक ने “हेतु
, लिंग, औषधको क्या संज्ञा दी है।

(क) त्रिसूत्र (ख) त्रिस्कन्ध (ग) त्रिस्तंभ (घ)
, ब दोनों

 

(6) “स्कन्धत्रय”है ?

(क) हेतु, लिंग, औषध (ख) हेतु, दोष, द्रव्य (ग) वात, पित्त, कफ
(घ) सत्व
, रज, तम

 

(7) चरक
संहिता के अनुसार षटपदार्थ का क्रम है
?

(क) द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय

(ख)
सामान्य
,विशेष, गुण, द्रव्य, कर्म, समवाय

(ग) सामान्य, विशेष, द्रव्य, गुण, कर्म, समवाय

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

(8) वैशेषिक
दर्शन के अनुसार षटपदार्थ का क्रम है
?

(क) द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय

(ख) सामान्य, विशेष, गुण, द्रव्य, कर्म, समवाय

(ग) सामान्य, विशेष, द्रव्य, गुण, कर्म, समवाय

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

 

(9) ‘हिताहितं
सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्। मानं चतच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते।
‘- यह आयुर्वेद की ….. है।

(क) निरूक्ति (ख) व्युत्पत्ति (ग) परिभाषा (घ)
फलश्रुति

 

(10) निम्नलिखित
में से कौनसा कथन सही हैं
?

(क) नित्यगआयुका पर्याय है एंव काल का भेद है।

(ख) अनुबन्धआयु का पर्याय है एंव दोष का भेद है।

(ग) अनुबन्धदशविध परीक्ष्य भाव में से एक भाव है।

(घ) उर्पयुक्त सभी


 1. C

2. A
3. A
4. B
5. D
6. B
7. B
8. A
9. C
10.D
 

(11) ‘तस्य आयुषः पुण्यतमो वेदो वेदविदां मतः‘ – उक्त सूत्र का उल्लेख किस ग्रन्थ में है ?

(क) चरक संहिता

(ख)
सुश्रुत संहिता

(ग)
अष्टांग संग्रह

(घ)
अष्टांग ह्रदय।

 

(12) सामान्य
के
3 भेद “द्रव सामान्य, गुण सामान्य और कर्म सामान्य”- किसने
बतलाये है।

(क) सुश्रुत (ख) चरक (ग) आत्रेय (घ) चक्रपाणि

 

(13) ‘सत्व, आत्मा, शरीर‘-ये तीनों कहलातेहै।

(क) त्रिसूत्र (ख) त्रिस्कन्ध (ग) त्रिदण्ड (घ)
त्रिस्तंभ

 

(14) परादि
गुणोंकी संख्या हैं
?

(क) 6 (ख) 5 (ग) 20 (घ) 10

 

(15) चिकित्सीय
गुण हैं।

(क) इन्द्रिय गुण (ख) गुर्वादि गुण (ग) परादि
गुण (घ) आत्म गुण

 

(16) ‘चिकित्सा की सिद्धि केउपायगुण
हैं।

(क) इन्द्रिय गुण (ख) गुर्वादि गुण (ग) परादि
गुण (घ) आत्म गुण

 

(17) गुर्वादि
गुण को शारीरिक गुण की संज्ञा किसने दी हैं।

(क) चरक (ख) चक्रपाणि (ग) योगीनाथ सेन (घ)
गंगाधर राय

 

(18) आत्म
गुणों की संख्या
7 किसने मानी हैं।

(क) चरक (ख) चक्रपाणि (ग) योगीनाथ सेन (घ)
गंगाधर राय

 

(19) सात्विक
गुणो में शामिल नही हैं।

(क) सुख (ख) दुःख (ग) प्रयत्न (घ) उत्साह

 

(20) निम्नलिखित
में से कौनसा कथन सही हैं
?

(क) गुर्वादि
गुण
का विस्तृत वर्णन सुश्रुत और हेमाद्रि
ने किया है।

(ख) परादि
गुण
का विस्तृत वर्णन केवल चरक संहिता में
है।

(ग) इन्द्रिय
और आत्म गुण
का विस्तृत वर्णन तर्क संग्रह में है।

(घ) उपर्युक्त सभी

 11.A

12.D
13.C
14.D
15.B
16.C
17.D
18.C
19.D
20.D

(21) गुण
के बारे में कौन सा कथन सही नहीं हैं।

(क) समवायी (ख) निश्चेष्ट (ग) चेष्ट (घ)
द्रव्याश्रयी

 

(22) कारण
द्रव्यों की संख्या हैं।

(क) 5 (ख) 8 (ग) 9 (घ) 10

 

(23) द्रव्य
के प्रकार होते हैं।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 9 (घ)
असंख्य

 

(24) द्रव्य
के भेद होते है।

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(क) 2 (ख) 3 (ग) 9 (घ)
असंख्य


(25) “सेन्द्रिय” का क्या अर्थ होता है ?

(क) इन्द्रिय युक्त (ख) चेतन युक्त (ग) सत्व
युक्त (घ) उर्पयुक्त कोई नहीं

 

(26) ‘क्रियागुणवत समवायिकारणमिति द्रव्यलक्षणम्‘- किसका कथन है।

(क) चरक (ख)सुश्रुत (ग) वैशेषिक दर्शन (घ)
नागार्जुन

 

(27) कर्म
के
5 भेद – उत्क्षेपण, अवक्षेपण, आकुन्चन, प्रसारण तथा गमन।- किसने बतलाये है।

(क)    
चरक (ख) चक्रपाणि (ग) वैशेषिक दर्शन (घ) न्याय दर्शन

 

(28) ‘घटादीनां कपालादौ द्रव्येषु गुणकर्मणौः। तेषु जातेÜच सम्बन्धः समवायः प्रकीर्तितः।।‘ – किसका कथन है।

(क) चरक (ख) सुश्रुत (ग) तर्क संग्रह (घ)
कारिकावली

 

(29) आचार्य
चरक ने
षटपदार्थक्या कहा हैं।

(क) कारण (ख) कार्य (ग) पदार्थ (घ) प्रमाण

 

(30) आचार्य
चरक कौनसे वाद को मानते हैं।

(क) कार्यकारण वाद (ख) विवर्तवाद (ग)
क्षणभंगुरवाद (घ) असद्कार्यवाद
 

21.C
22.C
23.A
24.B
25.B
26.C
27.C
28.D
29.A

30.A 

(31) व्याधिका
अधिष्ठान है।

(क) शरीर . (ख) मन (ग) मन और शरीर (घ) मन, शरीर,इन्द्रियॉ

 

(32) वेदना
का अधिष्ठान है
? (च.शा.1/136)

(क) शरीर . (ख) मन (ग) इन्द्रियॉ (घ) उर्पयुक्त
सभी

 

(33) निर्विकारः
परस्त्वात्मा सर्वभूतानां निर्विशेषः। सत्वशरीरयोश्च विशेषाद् विशेषोपलब्धिः।- है।

(क) (च.सू.1/36) (ख) (च. सू.1/52)
(
ग) (च. शा.4/33) (घ) (च.शा.1/36)

 

(34) वात
पित्त श्लेष्माण एव देह सम्भव हेतवः। – किसआचार्य का कथन हैं।

(क) सुश्रुत (ख) चरक (ग) वाग्भट्ट (घ) काश्यप

 

(35) मानसिक
दोषों की संख्या है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ)
उर्पयुक्तकोई नहीं

 

(36) मानसिक
दोषों में प्रधान होता है।

(क) सत्व (ख) रज (ग) तम (घ) उर्पयुक्त कोई नहीं

 

(37) मानसिक
गुण नहीं है।

(क) सत्व (ख) रज (ग) तम (घ) उर्पयुक्त कोई नहीं

 

(38)चरकानुसार
शारीरिक दोषों की चिकित्सा है।

(क) दैवव्यपाश्रय, (ख) युक्तिव्यापश्रय (ग) दोनों (घ) उर्पयुक्त कोई नहीं

 

(39) चरकानुसार
मानसिक दोष का चिकित्सा सूत्र है।

(क) ज्ञान, विज्ञान, धी, धैर्य, समाधि

(ग) ज्ञान, विज्ञान, धी, धैर्य, स्मृति

(ख) ज्ञान, विज्ञान, योग, स्मृति, समाधि

(घ) ज्ञान, विज्ञान, धैर्य, स्मृति, समाधि

 

(40) आचार्य
चरक ने कफ के कितने गुण बतलाए हैं।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

31.C
32.D
33.C
34.A
35.B
36.B
37.A
38.C
39.D
40.C 

 

(41) ‘सरकौनसे दोष का गुण हैं।

(क) वात (ख) पित्त (ग) कफ (घ) रक्त

 

(42) चरकोक्त
वात के
7 गुणों एवं कफ के 7 गुणों में कितने समान है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ)
उर्पयुक्तकोई नहीं

 

(43) ‘साधनं न त्वसाध्यानां व्याधीनां उपदिश्यते।‘ – असाध्य रोगों की चिकित्सा न करने का उपदेश
किसने दिया है।

(क) सुश्रुत (ख) चरक (ग) वाग्भट्ट (घ) काश्यप

 

(44) रसनार्थो
रसः द्रव्यमापः …..। निर्वृतौ च
, विशेषें
च प्रत्ययाः खादयस्त्रयः।

(क) पृथ्वीस्तथा (ख) अनलस्तथा (ग) क्षितिस्तथा
(घ) अनिलस्तथा

 

(45) रस
के विशेष ज्ञान में कारण है।

(क) जल, वायु, पृथ्वी

(ख) पृथ्वी, जल
अग्नि

(ग) आकाश, जल, पृथ्वी

(घ) आकाश, वायु, अग्नि

 

(46) पित्त
शामक रस है।

(क) मधुर, अम्ल, लवण

(ख) कटु, अम्ल, लवण

(ग) कटु, तिक्त, कषाय

(घ) मधुर, तिक्त, कषाय

 

(47) कफ
प्रकोपक रस है।

(क) मधुर, अम्ल, लवण

(ख) कटु, अम्ल, लवण

(ग) कटु, तिक्त, कषाय

(घ) मधुर, तिक्त, कषाय

 

(48) निम्नलिखित
में से कौनसा कथन सही हैं
?

(क) चरक ने मधुर रस के लिए स्वादुएवं
कटु रस के लिए
कटुकशब्द का प्रयोग किया है। (च.सू.1/64)

(ख) अष्टांग संग्रहकार ने कटु रस के लिए
ऊषणशब्द
का प्रयोग किया है। (अ. सं. सू.
1/35)

(ग) अष्टांग हृदयकार ने लवण रस के लिए पटुशब्द
का प्रयोग किया है। (अ. हृ. नि.
1/16)

(घ) उर्पयुक्त सभी।

 

(49) चरकानुसार
जांगमद्रव्यों के प्रयोज्यांग होते है।

(क) 18 (ख) 19 (ग) 8 (घ) 6

 

(50) चरकानुसार
औद्भिदद्रव्यों के प्रयोज्यांग होते है।

(क) 18 (ख) 19 (ग) 8 (घ) 6

 41.B

42.A
43.B
44.C
45.D
46.D
47.A
48.D
49.B
50.A
 

(51) ‘औद्भिदकिसका प्रकार है।

(क) द्रव्य (ख) लवण (ग) जल (घ) उपर्युक्त सभी

 

(52) ‘उदुग्बरहै।

(क) वनस्पति (ख) वानस्पत्य (ग) वीरूध (घ) औषधि

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(53)फल
पकने पर जिसका अन्त हो जाए वह है
?

(क) वनस्पति (ख) वानस्पत्य (ग) वीरूध (घ) औषधि

 

(54) जिनमें
सीधे ही फल दृष्टिगोचर हो – वह है
?

(क) वनस्पति (ख) वानस्पत्य (ग) वीरूध (घ) औषधि

 

(55) सुश्रुतानुसार
जिसमें पुष्प और फलदोनों आते है‘ – वह स्थावर कहलाता है।

(क) वनस्पत्य (ख) वानस्पत्य (ग) वृक्षा (घ)
उपर्युक्त सभी

 

(56) 16 मूलिनी द्रव्यों में शामिल नहीं है।

(क)बिम्बी (ख) हस्तिपर्णी (ग) गवाक्षी (घ)
प्रत्यकश्रेणी

 

(57) चरकोक्त
16 मूलिनी द्रव्यों में छर्दनकिसका
कार्य है।

(क)शणपुष्पी (ख) बिम्बी (ग) हैमवती (घ)
उपर्युक्त सभी

 

(58) चरकोक्त
16 मूलिनी द्रव्यों में विरेचनहेतु
कितने द्रव्य है।

(क) दश (ख) एकादश (ग) षोडश (घ) चतुर्विध

 

(59) चरकोक्त
19 फलिनी द्रव्यों में शामिल नहीं है।

(क) क्लीतक (ख) आरग्वध (ग) प्रत्यक्पुष्पा (घ)
सदापुष्पी

 

(60) चरकोक्त
19 फलिनी द्रव्यों में शामिल नहीं है ?

(क) आमलकी (ख) हरीतकी (ग) कम्पिल्लक (घ)
अन्तकोटरपुष्पी

 51.D

52.A
53.D
54.A
55.C
56.B
57.D
58.B
59.D
60.A

(61) चरकानुसार क्लीतक (मुलेठी) के कितने भेद होते है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 5 (घ) उपर्युक्त कोई नहीं


(62) चरकोक्त
19 फलिनी द्रव्यों में नस्य हेतु कितने द्रव्य
है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) 8

 

(63) चरकोक्त
19 फलिनी द्रव्यों में विरेचनहेतु
कितने द्रव्य है।

(क) दश (ख) एकादश (ग) अष्ट (घ) एकोनविशंति

 

(64) स्नेहना
जीवना बल्या वर्णापचयवर्धनाः। – किसका गुण है।

(क) मांस (ख) मद्य (ग) पयः (घ) महास्नेह

 

(65) महास्नेह
की संख्या है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 8

 

(66) चरकानुसार
प्रथम लवणहै।

(क) सैंन्धव (ख) सौवर्चल (ग) सामुद्र (घ) विड

 

(67) रस
तरंगिणी के अनुसार
प्रथम लवणहै।

(क) सैंन्धव (ख) सौवर्चल (ग) सामुद्र (घ) विड

 

(68) चरकानुसार
पंच लवणमें
शामिल नहीं है
?

(क) सौवर्चल (ख) सामुद्र (ग) औद्भिद (घ) रोमक

 

(69) रस
तरंगिणी के अनुसार
पंच लवणमें शामिल नहीं है ?

(क) सौवर्चल (ख) सामुद्र (ग) औद्भिद (घ) रोमक

 

(70) अष्टमूत्र
के संदर्भ में
लाघवं जातिसामान्ये स्त्रीणां, पुंसां च गौरवम्‘ – किस आचार्य का कथन है।

(क) सुश्रुत (ख) चरक (ग) हारीत (घ) भाव प्रकाश

61.A
62.A
63.A
64.D
65.C
66.B
67.A
68.D
69.C
70.D

(71) चरकानुसार
मूत्र में
प्रधान रसहोता है।

(क) तिक्त (ख) कटु (ग) लवण (घ) कषाय

 

(72) चरकानुसार
मूत्र का
अनुरसहोता है।

(क) तिक्त (ख) कटु (ग) लवण (घ) कषाय

 

(73) पाण्डुरोग
उपसृष्टानामुत्तमं …..चोत्यते। श्लेष्माणं शमयेत्पीतं मारूतं चानुलोमयेत्।

(क) मूत्र (ख) गोमूत्र (ग) शर्म (घ) पित्तविरेचन


(74) चरकानुसार
मूत्र का गुण है।

(क) वातानुलोमन (ख) पित्तविरेचक (ग) कफशामक (घ)
उपर्युक्त सभी

 

(75) वाग्भट्टानुसार
मूत्र होता है।

(क) पित्तविरेचक (ख) पित्तवर्धक (ग) विषापह (घ)
रसायन

 

(76) ‘मूत्रं मानुषं च विषापहम्।‘ – किस
आचार्य का कथन है –

(क) सुश्रुत (ख) चरक (ग) अष्टांग संग्रह (घ) भाव
प्रकाश

 

(77) हस्ति
मूत्र का रस होता है।

(क) तिक्त (ख) कटु,तिक्त (ग) लवण (घ) क्षार

 

(78) माहिषमूत्र
का रस होता है।

(क) तिक्त (ख) कटु,तिक्त (ग) लवण (घ) क्षार

 

(79) किसकामूत्र
सरगुण
वाला होता है।

(क) हस्ति (ख) उष्ट्र (ग) माहिषी (घ) वाजि

 

(80) किसकामूत्र
पथ्यहोता
है।

(क) गोमूत्र (ख) अजामूत्र (ग) उष्ट्रमूत्र (घ)
खरमूत्र

 71.B

72.C
73.C
74.D
75.B
76.A
77.C
78.D
79.C
80.B
 

(81) कुष्ठ
व्रण विषापहम् – मूत्र है।

(क) हस्ति (ख) आवि (ग) माहिषी (घ) वाजि

 

(82) चरकानुसार
अर्श नाशकमूत्र
है।

(क) हस्ति (ख) उष्ट्र (ग) माहिषी (घ) उपर्युक्त
सभी

 

(83) उन्माद, अपस्मार, ग्रहबाधा
नाशकमूत्र है
?

(क) हस्ति (ख) उष्ट्र (ग) खर (घ) वाजि

 

(84) चरक
ने
श्रेष्ठं क्षीणक्षतेषु चकिसके लिए कहा है।

(क) महास्नेह (ख)मांस (ग) पयः (घ) नागबला

 

(85) पाण्डुरोगेऽम्लपित्ते
च शोषे गुल्मे तथोदरे। अतिसारे ज्वरे दाहे च श्वयथौ च विशेषतः। – किसके लिए कहा
है।

(क) महास्नेह (ख) अष्टमूत्र (ग) पयः (घ) घृत

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(86) चरक
संहिता में मूलनी
, फलिनी, लवण और मूत्र की संख्या क्रमशःहै।

(क) 19, 16, 5, 8 (ख) 16, 19,
5, 8 (
ग) 16, 19, 8, 5 (घ) 19, 16, 4, 8

 

(87) शोधनार्थ
वृक्षों की संख्याकी संख्या है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 6

 

(88) चरकानुसार
क्षीरत्रय होता है।

(क) अर्क, स्नुही, वट

(ख) अर्क, स्नुही, अश्मन्तक

(ग) अर्क, वट, अश्मन्तक

(घ) उपर्युक्त कोई नहीं

 

(89) ‘अर्कक्षीरका प्रयोग किसमें निर्दिष्टहै।

(क) वमन में (ख) विरेचन में (ग) वमन, विरेचन दोनो में (घ) उपर्युक्त कोई नहीं

 

(90) चरकानुसार
अश्मन्तक का प्रयोग किसमें निर्दिष्टहै।

(क) वमन में (ख) विरेचन में (ग) वमन, विरेचन दोनो में (घ) उपर्युक्त कोई नहीं

 81.D

82.D
83.C
84.C
85.C
86.B
87.D
88.B
89.C
90.A
 

(91)चरक
ने तिल्वक का प्रयोग बतलाया है।

(क) वमन में (ख) विरेचन में (ग) वमन, विरेचन दोनो में (घ) उपर्युक्त कोई नहीं

 

(92) चरकानुसार
“परिसर्प
, शोथ, अर्श, दद्रु, विद्रधि, गण्ड, कुष्ठ और अलजी”में शोधन के लिए प्रयुक्त होता है।

(क) पूतीक (ख) कृष्णगंधा (ग) तिल्वक (घ)
उपर्युक्त सभी

 

(93) ‘योगविन्नारूपज्ञस्तासां ….. उच्यते।

(क) श्रेष्ठतम भिषक (ख) तत्वविद (ग) छदम्चर
वैद्य (घ) भिषक

 

(94) पुरूषं
पुरूषं वीक्ष्य स ज्ञेयो भिषगुत्तमः। – किसका कथन हैं।

(क) चरक (ख) सुश्रुत (ग) वाग्भट्ट (घ) हारीत

 

(95) यथा
विषं यथा शस्त्रं यथाग्निरशर्नियथा। – किसका कथन हैं।

(क) चरक (ख) सुश्रुत (ग) वाग्भट्ट (घ) भाव
प्रकाश

 

(96) चरकानुसार
भिषगुत्तमहै।

(क) तस्मात् शास्त्रऽर्थ विज्ञाने प्रवृतौ
कर्मदर्शने।

(ख) हेतो लिंगे प्रशमने रोगाणाम् अपुनर्भवे।

(ग) विद्या वितर्की विज्ञानं स्मृतिः तत्परता
क्रिया।

(घ) योगमासां तु यो विद्यात् देशकालोपपादितम्।

 

(97) ताम्र
का प्रथम उल्लेख किसने किया हैं।

        (क) सुश्रुत (ख) चरक (ग) सोढल (घ) नागार्जुन

 

(98) “पुत्रवेदवैनं पालयेत आतुरं भिषक्।” – किसका कथन हैं।

        (क) चरक
(ख) सुश्रुत (ग) वाग्भट्ट (घ) काश्यप

91.B
92.B
93.B
94.A
95.A
96.D
97.B
98.B


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