समझदारी से पढ़ें, मेहनत ज़्यादा से नहीं: डॉक्टर साहब बता रहे हैं परीक्षा हराने के तरीके

नमस्कार! आज हम आपके लिए लाए हैं डॉक्टर प्रनीत राजेश नाचन का एक प्रेरणादायक इंटरव्यू। प्रनीत ने अपना यूजी एसडीएम ट्रस्ट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज कर्नाटका से पूरा किया और एआईए पीजीईटी में ऑल इंडिया रैंक 169 लाकर गवर्नमेंट आयुर्वेदा कॉलेज अहमदाबाद में शल्य तंत्र की सीट हासिल की है। स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणादायक इंटरव्यू: प्रनीत […]

नमस्कार! आज हम आपके लिए लाए हैं डॉक्टर प्रनीत राजेश नाचन का एक प्रेरणादायक इंटरव्यू। प्रनीत ने अपना यूजी एसडीएम ट्रस्ट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज कर्नाटका से पूरा किया और एआईए पीजीईटी में ऑल इंडिया रैंक 169 लाकर गवर्नमेंट आयुर्वेदा कॉलेज अहमदाबाद में शल्य तंत्र की सीट हासिल की है।

स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणादायक इंटरव्यू: प्रनीत राजेश नाचन

इंटरव्यू:

प्रश्न: प्रनीत, आपने पीजी करने का कब सोचा?

प्रनीत: आयुर्वेदिक स्ट्रीम में आना भी मेरे लिए पहले से तय नहीं था। थर्ड ईयर में क्लिनिकल सब्जेक्ट्स के साथ एक्सपोजर आया और चौथे साल में और अच्छा एक्सपोजर मिला, तब मैंने पीजी करने का सोचा।

प्रश्न: आपका कौन सा सब्जेक्ट पसंदीदा था और किससे डर लगता था?

प्रनीत: क्लिनिकल सब्जेक्ट्स मेरे पसंदीदा थे। पहले संहिता से डर लगता था, पर बाद में पता चला कि बिना संहिता पढ़े एग्जाम देना युद्ध के लिए बिना शस्त्र के जाना है। रस शस्त्र और द्रव्य गुण जैसे सब्जेक्ट्स से भी डर लगता था, पर मैंने उन्हें डेली पढ़ा और क्वेश्चन सॉल्व किए।

प्रश्न: आप अपना टाइम कैसे मैनेज करते थे?

प्रनीत: मैंने मैक्सिमम वेटेज वाले सब्जेक्ट्स को ज्यादा टाइम दिया। संहिता को 08 घंटे और बाकी सब्जेक्ट्स को 5 घंटे देता था। मॉर्निंग आवर संहिता पढ़ने के लिए रखा था। खाने के बाद मॉक टेस्ट सॉल्व करता था। ऑडियो सुनता था और रैंडम नोट्स बनाता था।

प्रश्न: आपके लिए कौन सी स्ट्रेटेजी हेल्पफुल रही थी?

प्रनीत: मैंने स्मार्ट वर्क को हार्ड वर्क से ज्यादा प्रेफर किया। टारगेट सिलेबस के साथ फैमिलियर होना, कौन सा पार्ट लास्ट तक पढ़ना है, और मैक्सिमम रिवीजन करना, ये मेरी स्ट्रेटेजी थी। मैंने 100 क्वेश्चन का सेट बनाया था और हर दिन जितने सॉल्व करता था, उन्हें काट देता था।

प्रश्न: आपने कौन सी बुक्स पढ़ी थीं?

प्रनीत: मैंने सुश्रुत संहिता (अनंतराम शर्मा), चरक संहिता (रविदत्त त्रिपाठी), और अष्टांग हृदय (विद्या शंकर) पढ़ी थीं। सर के नोट्स और गोविंद पारिक की बुक भी पढ़ी थी। मैंने चिपकाए गए नोट्स बनाए थे, ताकि सिलेबस डिवाइड हो सके।

प्रश्न: आप दो घंटे में कितने क्वेश्चन सॉल्व कर पाते थे?

प्रनीत: शुरुआत में 50-60 क्वेश्चन सॉल्व कर पाता था। धीरे-धीरे 80-90 क्वेश्चन सॉल्व करने लगा। गलत क्वेश्चन बुकमार्क करके रखता था और उन्हें बाद में रिवीजन करता था।

प्रश्न: आपके लिए मोटिवेशन का स्रोत क्या था?

प्रनीत: सक्सेसफुल स्टूडेंट्स, फैमिली, दोस्त, सीनियर्स, और लाइब्रेरी का माहौल मेरे मोटिवेशन का स्रोत थे।

प्रश्न: आपका फ्यूचर गोल क्या है?

प्रनीत: अभी फिक्स नहीं है। फ्लो के साथ चल रहा हूं। आयुर्वेदा में आने का भी कोई प्लान नहीं था, पर अब यहीं हूं।

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